लक्ष्य की आवश्यकता – प्रत्येक मानव के जीवन का कोई-न-कोई लक्ष्य होना चाहिए। लक्ष्य बनाने से जीवन रसमय हो जाता है।
मेरे जीवन का लक्ष्य – मैंने यह तय किया है कि मैं पत्रकार बनूँगा। आजकल प्रचार- माध्यमों का सबसे प्रभावशाली स्थान है। समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन आदि चाहें तो देश में आमूलचूल परिवर्तन ला सकते हैं। मैं भी ऐसे महत्त्वपूर्ण स्थान पर पहुंचना चाहता हूँ जहाँ से मैं देशहित के लिए बहुत कुछ कर सकूँ। पत्रकार बनकर मैं देश को तोड़ने वाली ताकतों के विरुद्ध संघर्ष करूँगा और भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ करूंगा।
प्रेरणा का स्रोत – मेरे पड़ोस में एक पत्रकार रहते हैं – मि. नटराजन । वे इंडियन एक्सप्रेस के संवाददाता तथा भ्रष्टाचार-विरोधी विभाग के प्रमुख पत्रकार हैं। उन्होंने पिछले वर्ष गैस एजेंसी की धाँधली को अपने लेखों द्वारा बंद कराया था। उन्हीं के लेखों के कारण हमारे शहर में कई दीन-दुखी लोगों को न्याय मिला है। इन कारणों से मैं उनका बहुत आदर करता हूँ। मेरा भी दिल करता है कि मैं उनकी तरह श्रेष्ठ पत्रकार बनूँ और नित्य बढ़ती समस्याओं का मुकाबला करूँ।
सेवा-भाव – मुझे पता है कि पत्रकार बनने में खतरे हैं तथा पैसा भी बहुत नहीं है परन्त मैं पैसे के लिए या धंधे के लिए पत्रकार नहीं बनूँगा। मेरे जीवन का लक्ष्य होगा-समाज की कुरीतियों और भ्रष्टाचार को समाप्त करना। यदि मैं कुछ बुराइयों को भी हटा सका तो मुझे बहुत संतोष मिलेगा। मैं स्वस्थ समाज को देखना चाहता हूँ। इसके लिए पत्रकार बनकर हर दुख – दर्द को मिटा देना मैं अपना धर्म समझता हूँ।
लक्ष्य-प्राप्ति की तैयारी – केवल सोचने भर से लक्ष्य नहीं मिलता। मैंने इसे पाने के लिए कुछ तैयारियाँ भी शुरू कर दी हैं। मैं दैनिक समाचार-पत्र पढ़ता हूँ, रेडियो-दूरदर्शन के समाचार तथा अन्य सामयिक विषयों को ध्यान से सुनता हूँ। मैंने हिन्दी तथा अंग्रेजी भाषा का गहरा अध्ययन करने का प्रयत्न करना भी शुरू कर दिया है। ताकि प्रभावशाली लेख लिख सकूँ। वह दिन दूर नहीं जब मैं पत्रकार बनकर समाज की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त कर सकूँगा।