-रैदास जी संत परंपरा के कवि हैं। वे गलतः भक्त हैं फिर बाद में कवि। संतों ने कविता के माध्यम से अपने विचारों को आम आदमी तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया। संत हृदय नवनीत समाना। संत का स्वभाव मधर होता है, संवेदनशील होता है। परदःख से दःखी और परसुख मे ही वह सुखका अनुभव करता है।जीवमात्र की दर्दशा को देख उसका अंतर्मनदारखी हो जाता है। वह ऐसा नहीं चाहता कि हम जिस दुःख से दुःखी हैं, संसार भी उस दुःख से दुःखी हो। इसलिए वह हमें दृष्टि देता है, हमें चेताता है, हमें शिक्षित करता है। हम चेत जाएँ, हमारे ऊपर प्रभु की कृपा हो जाय तो उसे क्या मिलेगा? पर इसकी वह चिंता नहीं करता है।
अतः इन्ही बातो का ध्यान दिलाते हुए कवि ने हमारे अंतर्मन में चेतना जागत करने का प्रयास किया है, जिनसे हम अपने मन को, विचारों को और वाणी को शब्द्ध कर एक स्वस्थ समाज की रचना में सहयोग प्रदान करें। यही इस कविता का मूल संदेश है।